ज्योतिष के 20 अनोखे अचूक व प्रमाणित सूत्र
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लग्नेश द्वादश या बाहरवें भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति के शत्रु अधिक होते हैं और उन पर झूठे आरोप लग सकते हैं; आत्महत्या के विचार भी आ सकते हैं।
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राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा विशेष कष्टदायक होती है; उलझनें और समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
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धनेश (द्वितीयेश) नवम या एकादश भाव में हो तो बाल्यकाल कष्टदायक, लेकिन बाद का जीवन सुखमय होता है।
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लग्नेश और धनेश का स्थान परिवर्तन (लग्नेश दूसरे भाव में, धनेश लग्न में) धन की कभी कमी नहीं रहती, कम प्रयास में धन मिलता है।
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सूर्य एकादश भाव में हो तो शत्रु अधिक होते हैं, लेकिन जातक उन पर विजय पाता है।
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अष्टमेश पर गुरु की दृष्टि हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है।
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स्त्री की कुंडली में दूसरे भाव में राहु हो तो स्वदेश में सुख नहीं मिलेगा; विदेश में रहना शुभ है।
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शनि उच्च राशि में और मंगल की दृष्टि हो तो जातक में नेतृत्व क्षमता प्रबल होती है।
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शुक्र एकादश भाव में हो तो विवाह के बाद अच्छा धन लाभ होता है।
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एकादश भाव का स्वामी लग्न में हो तो हर 11वें दिन कोई न कोई लाभ अवश्य होता है।
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शुक्र लग्न में हो तो व्यक्ति खुशमिजाज, गाने का शौकीन और आमोद-प्रमोद प्रिय होता है।
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शनि लग्न में और गुरु केंद्र में हो तो पैतृक संपत्ति अवश्य मिलती है।
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लग्न, पंचम या नवम भाव में बुध-चंद्र की युति हो तो जातक विद्वान, बुद्धिमान या भविष्यवक्ता होता है।
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चंद्रमा पर उच्च ग्रह की दृष्टि हो तो जातक धनवान होता है (यह जरूरी नहीं कि वह परेशान न हो)।
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सूर्य के दोनों ओर कोई ग्रह हो (चंद्रमा छोड़कर) तो व्यक्ति तेज बोलने वाला, सफल और धनवान होता है।
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स्थिर लग्न (वृष, सिंह, वृश्चिक, कुंभ) हो, शुक्र केंद्र में, चंद्र त्रिकोण में गुरु से युत, शनि दशम में—ऐसा व्यक्ति सुखी, प्रभावशाली, मंत्री/नेता बन सकता है।
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लग्न में चंद्रमा और शुक्र, सप्तम में शनि—ऐसे जातक को जीवन में बदनामी का सामना करना पड़ सकता है।
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लग्नेश दशम में और दशमेश लग्न में—ऐसा जातक किसी भी परिवेश में जन्म ले, बढ़िया जीवन जीता है।
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धन भाव और व्यय भाव के स्वामी नवम भाव में युति करें—ऐसा जातक जीवन में खूब धन कमाता है, पर पीढ़ियों के लिए नहीं छोड़ता।
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छठा, आठवां, बारहवां भाव में चंद्रमा, मंगल, शनि या राहु की युति—ऐसा जातक मानसिक रोग या प्रेत बाधा से ग्रस्त हो सकता है।