ज्योतिष के सामान्य सूत्र वे मूलभूत नियम और सिद्धांत हैं, जिनके आधार पर कुंडली का विश्लेषण और फलादेश किया जाता है। ये सूत्र जन्मपत्रिका के ग्रहों, भावों और राशियों की स्थिति व आपसी संबंधों को देखकर जीवन के विभिन्न पहलुओं का अनुमान लगाने में सहायक होते हैं। नीचे प्रमुख सामान्य ज्योतिषीय सूत्र दिए जा रहे हैं:
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कुछ सामान्य सूत्र
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लग्नेश यदि द्वादश भाव में हो तो जातक के शत्रु अधिक होते हैं और झूठे आरोप लग सकते हैं।
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दूसरे भाव में चंद्रमा हो तो जातक को पसीना अधिक आता है।
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दशम भाव में मंगल-बुद्ध साथ हों तो शरीर से दुर्गंध आती है।
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सप्तम भाव में शुक्र या उसका संबंध हो तो दांपत्य जीवन में बाधाएं आती हैं।
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लग्नेश और धनेश (दूसरे भाव के स्वामी) का आपस में स्थान परिवर्तन हो तो जातक को धन की कमी नहीं रहती।
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सूर्य एकादश भाव में हो तो शत्रुओं पर विजय मिलती है।
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अष्टमेश पर गुरु की दृष्टि हो तो दीर्घायु मिलती है।
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शुक्र एकादश भाव में हो तो विवाह के बाद धन लाभ होता है।
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पंचम भाव का मंगल जातक को तीक्ष्ण बुद्धि देता है, पर संतान संबंधी चिंता भी दे सकता है।
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ग्रहों की स्थिति के प्रभाव
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सभी शुभ ग्रह उच्च राशि में हों तो संपूर्ण शुभ फल देते हैं; नीच राशि में फल नहीं देते।
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सूर्य के समीप विशेष अंशों तक जाने पर ग्रह अस्त हो जाते हैं और उनका फल शून्य हो जाता है।
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किसी भाव में बैठा ग्रह कम, उस भाव को देखने वाला ग्रह अधिक प्रभाव डालता है।
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विशिष्ट योग
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महाभाग्य योग: दिन में जन्म और लग्न, चंद्र, सूर्य विषम राशि में या रात में जन्म और तीनों सम राशि में हों तो जातक को भौतिक, आर्थिक व सामाजिक उन्नति मिलती है।
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नक्षत्र का महत्व
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फलादेश करते समय ग्रह किस नक्षत्र में है, यह विशेष ध्यान देने योग्य है; नक्षत्र की ऊर्जा से ही ग्रह का सही फल मिलता है।
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ये सूत्र कुंडली के विश्लेषण में आधारभूत भूमिका निभाते हैं और इनका अभ्यास करने से ज्योतिष का अध्ययन और फलित दोनों ही सशक्त बनते हैं।
भावों के सामान्य अर्थ
भाव | मुख्य विषय | कारक ग्रह |
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प्रथम (लग्न) | शरीर, स्वास्थ्य, रूप | सूर्य |
द्वितीय | धन, वाणी, कुटुंब | बृहस्पति |
तृतीय | पराक्रम, भाई-बहन | मंगल |
चतुर्थ | माता, सुख, वाहन | चंद्र |
पंचम | संतान, बुद्धि, विद्या | बृहस्पति |
षष्ठ | शत्रु, रोग, ऋण | मंगल |
सप्तम | विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी | शुक्र |
अष्टम | आयु, मृत्यु, रहस्य | शनि |
नवम | भाग्य, धर्म, गुरु | बृहस्पति |
दशम | कर्म, व्यवसाय | शनि |
एकादश | लाभ, मित्र | गुरु |
द्वादश | व्यय, विदेश, मोक्ष | केतु |