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भाग्येश (नवम भाव के स्वामी) का कुंडली के 12 भावों में प्रभाव

भाग्येश (नवम भाव के स्वामी) का कुंडली के 12 भावों में प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में भाग्येश (नवम भाव का स्वामी) को व्यक्ति के भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा, लंबी यात्राओं, गुरु, और आध्यात्मिक विकास का कारक माना जाता है। भाग्येश का कुंडली के विभिन्न भावों में गोचर या स्थिति के आधार पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। नीचे भाग्येश के 12 भावों में प्रभाव का संक्षिप्त और तार्किक विश्लेषण दिया गया है:

1. प्रथम भाव (लग्न):

  • प्रभाव: जब भाग्येश लग्न में होता है, तो व्यक्ति भाग्यशाली, धार्मिक, और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होता है। वह आत्मविश्वास से भरा होता है और जीवन में गुरुओं या उच्च शिक्षा से लाभ प्राप्त करता है। लंबी यात्राएं और विदेशी संपर्क भी जीवन को प्रभावित करते हैं।
  • उदाहरण: यदि गुरु (बृहस्पति) भाग्येश है और लग्न में है, तो व्यक्ति ज्ञानी और नैतिक होता है।

2. द्वितीय भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश का इस भाव में होना धन और वाणी से संबंधित भाग्य को बढ़ाता है। व्यक्ति को धार्मिक कार्यों या शिक्षा से धन लाभ हो सकता है। परिवार में भी सौभाग्य और नैतिक मूल्यों का प्रभाव रहता है।
  • नकारात्मक: यदि भाग्येश कमजोर हो, तो वाणी में कठोरता या धन हानि हो सकती है।

3. तृतीय भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति की पराक्रमी और संचार कौशल में भाग्य का साथ मिलता है। भाई-बहनों से सहयोग और छोटी यात्राओं से लाभ होता है। लेखन, पत्रकारिता या शिक्षण में सफलता मिल सकती है।
  • नकारात्मक: अत्यधिक जोखिम लेने की प्रवृत्ति हो सकती है।

4. चतुर्थ भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश इस भाव में माता, सुख, और संपत्ति से संबंधित भाग्य को बढ़ाता है। व्यक्ति को घर, वाहन, और शिक्षा से लाभ मिलता है। माता या परिवार के धार्मिक मूल्य जीवन को दिशा देते हैं।
  • नकारात्मक: कमजोर भाग्येश पारिवारिक सुख में कमी ला सकता है।

5. पंचम भाव:

  • प्रभाव: यह भाग्येश के लिए उत्तम स्थान है। व्यक्ति बुद्धिमान, रचनात्मक, और धार्मिक होता है। संतान, प्रेम, और शिक्षा में भाग्य का साथ मिलता है। आध्यात्मिक गुरुओं से मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
  • नकारात्मक: यदि अशुभ प्रभाव हो, तो संतान या प्रेम संबंधों में बाधाएं आ सकती हैं।

6. षष्ठ भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश इस भाव में होने पर व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय और स्वास्थ्य में सुधार मिलता है। धार्मिक कार्यों या सेवा से भाग्योदय होता है। हालांकि, यह स्थिति कठिनाइयों से जूझने की भी मांग करती है।
  • नकारात्मक: स्वास्थ्य समस्याएं या कानूनी विवाद हो सकते हैं।

7. सप्तम भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश सप्तम भाव में होने पर वैवाहिक जीवन और साझेदारी में सौभाग्य देता है। जीवनसाथी धार्मिक या उच्च शिक्षित हो सकता है। व्यापार में भी लाभ की संभावना रहती है।
  • नकारात्मक: कमजोर भाग्येश वैवाहिक जीवन में तनाव ला सकता है।

8. अष्टम भाव:

  • प्रभाव: यह स्थिति जटिल हो सकती है। भाग्येश इस भाव में होने पर व्यक्ति को गूढ़ विद्याओं, आध्यात्मिकता, या रहस्यमयी अनुभवों में रुचि होती है। लंबी उम्र और अचानक लाभ हो सकता है।
  • नकारात्मक: स्वास्थ्य समस्याएं, अचानक हानि, या मानसिक तनाव हो सकता है।

9. नवम भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश अपने स्वयं के भाव में होने पर अत्यंत शुभ होता है। व्यक्ति अत्यंत भाग्यशाली, धार्मिक, और ज्ञानी होता है। उच्च शिक्षा, लंबी यात्राएं, और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • नकारात्मक: अशुभ प्रभाव होने पर धर्म में अंधविश्वास बढ़ सकता है।

10. दशम भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश कर्म भाव में होने पर करियर और सामाजिक स्थिति में सौभाग्य देता है। व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में सम्मान और सफलता प्राप्त करता है। धार्मिक या नैतिक मूल्य कार्य में मदद करते हैं।
  • नकारात्मक: यदि कमजोर हो, तो करियर में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।

11. एकादश भाव:

  • प्रभाव: यह लाभ का भाव है, और भाग्येश यहां होने पर धन, मित्र, और सामाजिक नेटवर्क से लाभ मिलता है। व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और वह समाज में सम्मान प्राप्त करता है।
  • नकारात्मक: अत्यधिक भौतिकवादी दृष्टिकोण हो सकता है।

12. द्वादश भाव:

  • प्रभाव: भाग्येश इस भाव में होने पर व्यक्ति को आध्यात्मिकता, विदेश यात्रा, और मोक्ष की ओर ले जाता है। दान-पुण्य और सेवा कार्यों से भाग्य बढ़ता है। विदेश में सफलता मिल सकती है।
  • नकारात्मक: कमजोर भाग्येश खर्चों, एकांत, या हानि का कारण बन सकता है।

भाग्येश का प्रभाव उसकी स्थिति, दृष्टि, और संबंधित ग्रहों के साथ युति पर निर्भर करता है। शुभ ग्रह (जैसे बृहस्पति, शुक्र) के रूप में भाग्येश अधिक सकारात्मक परिणाम देता है, जबकि क्रूर ग्रह (जैसे मंगल, शनि) के रूप में यह कठिनाइयों के साथ भाग्य दे सकता है। कुंडली विश्लेषण में ग्रह की शक्ति, राशि, और नक्षत्र का भी ध्यान रखना जरूरी है।

भाग्येश (नवम भाव के स्वामी) का कुंडली के 12 भावों में प्रभाव

नवम भाव को भाग्य, धर्म, पिता, उच्च शिक्षा व विदेश यात्रा का भाव माना जाता है, और इसके स्वामी को भाग्येश या नवमेश कहते हैं। नवम भाव का स्वामी यदि कुंडली के अलग-अलग भावों में स्थित हो, तो अलग-अलग प्रभाव देता है। यहाँ भावानुसार प्रभाव संक्षेप में दिए जा रहे हैं:

1. प्रथम भाव (लग्न) में भाग्येश

  • जातक बहुत भाग्यशाली, प्रसिद्ध और सम्मानित होता है

  • मेहनत का उत्तम फल मिलता है

  • उच्च शिक्षा, दीर्घायु और पिता से अच्छा संबंध

  • धार्मिक प्रवृत्ति और अच्छे आयोजनों में भागीदारी

2. द्वितीय भाव में भाग्येश

  • धन व संपत्ति की वृद्धि, परिवार में खुशियां

  • वाणी में आकर्षण और धर्मिक प्रवचन से लाभ

  • पैतृक संपत्ति का सुख, पारिवारिक बिजनेस में सफलता

3. तृतीय भाव में भाग्येश

  • संवाद, लेखन या कला के माध्यम से प्रसिद्धि

  • भाई-बहनों का सहयोग और उनकी ओर से भाग्य

  • परिश्रम से सुख, भाग्य खुद बनाना

4. चतुर्थ भाव में भाग्येश

  • घर, संपत्ति और वाहन का सुख

  • मातृभूमि से लाभ, माता की ओर से भाग्य

  • शिक्षाविद, विद्वान और परिवार का सम्मान

5. पंचम भाव में भाग्येश

  • संतान में भाग्य, विद्या में वृद्धि

  • बुद्धिमत्ता, उच्च शिक्षा, गुरु/परंपरा का सम्मान

  • धार्मिकता और जीवन में शुभ आयोजन

6. छठा भाव में भाग्येश

  • संघर्ष और बाधाएं; भाग्य का साथ अपेक्षाकृत कम

  • स्वास्थ्य संबंधी उतार-चढ़ाव, क़ानूनी मामलों से जुड़ाव संभव

  • जातक के पिता को स्वास्थ्य या कानूनी समस्या भी संभव

7. सप्तम भाव में भाग्येश

  • जीवनसाथी के माध्यम से भाग्य, विवाह के बाद उन्नति

  • विदेश यात्रा, साझेदारी से लाभ

8. अष्टम भाव में भाग्येश

  • अचानक लाभ या हानि; छुपा हुआ भाग्य

  • अनुसंधान, रहस्य, बीमा, विरासत

9. नवम भाव में भाग्येश (स्वस्थाने)

  • जीवन में विशेष भाग्यशाली योग

  • पिता से बहुत लाभ, उच्च धार्मिकता, प्रतिष्ठा

  • अच्छे गुरु, पिता और उच्च शिक्षा

10. दशम भाव में भाग्येश

  • करियर में प्रगति, सरकारी व उच्च पद

  • धर्म, कानून या शिक्षा से जुड़े कार्यों में उन्नति

11. एकादश भाव में भाग्येश

  • धन, लाभ, इच्छाओं की पूर्ति, बड़े लक्ष्य

  • मित्रों, नेटवर्किंग से लाभ, समाज में स्थान

12. द्वादश भाव में भाग्येश

  • विदेश यात्रा, विदेशी भूमि से सुख

  • आध्यात्मिकता, त्याग, सेवा कार्य में भाग्य

  • खर्च या अस्पताल आदि से भी संबंधित हो सकता है

उपर्युक्त फल मुख्यतः ग्रह की शक्ति, राशि, युति, दृष्टि आदि पर निर्भर करके कम-ज्यादा हो सकते हैं। कुंडली देखते समय अन्य ग्रह योग, दशा/अंतर्दशा और समग्र स्थिति का भी ध्यान रखना आवश्यक है।

नवम भाव का स्वामी (भाग्येश) कुंडली में धर्म, भाग्य, उच्च शिक्षा, गुरु, पिता, विदेश यात्राएँ, और पुण्यकर्म का कारक माना जाता है। यह जिस भाव में बैठता है, वहाँ वह उस भाव के साथ भाग्य को जोड़ देता है।

भाग्येश के 12 भावों में फल

1 प्रथम भाव (लग्न में)

  • जातक भाग्यशाली, तेजस्वी और आत्मविश्वासी होता है।

  • जीवन में अवसर खुद आकर मिलते हैं।

  • अच्छे आचरण, धार्मिक स्वभाव और समाज में सम्मान।

  • यदि ग्रह शुभ हो तो उम्रभर सौभाग्य साथ रहता है।

2 द्वितीय भाव में

  • वाणी में मिठास, कुल-परिवार का गौरव बढ़ाने वाला।

  • भाग्य से धन, परिवार में धार्मिक वातावरण।

  • पैतृक संपत्ति का लाभ।

  • शिक्षा और ज्ञान से कमाई।

3 तृतीय भाव में

  • पराक्रम से भाग्य का निर्माण।

  • भाई-बहनों का सहयोग, यात्रा से लाभ।

  • लेखन, पत्रकारिता, मीडिया, या संचार क्षेत्र में सफलता।

  • मेहनत करने पर ही भाग्य का साथ।

4 चतुर्थ भाव में

  • सुख-सुविधाओं, घर-गाड़ी, भूमि और माता के सुख में वृद्धि।

  • जन्मभूमि में या पैतृक संपत्ति से लाभ।

  • शिक्षा और मानसिक शांति में भाग्य का सहारा।

  • यदि पापग्रस्त हो तो घर-परिवार में तनाव।

5 पंचम भाव में

  • संतान भाग्यशाली, विद्या में उत्कृष्टता।

  • उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता।

  • रचनात्मक कार्यों में प्रतिभा।

  • धर्मकर्म और पूजा-पाठ में रुचि।

6 षष्ठ भाव में

  • विरोधियों पर विजय, लेकिन संघर्ष से भाग्य का उदय।

  • सेवा, चिकित्सा, कानून, या प्रशासन में सफलता।

  • रोग या कर्ज से उबरने की क्षमता।

  • यदि ग्रह अशुभ हो तो मुकदमों या स्वास्थ्य में रुकावट।

7 सप्तम भाव में

  • भाग्य से उत्तम जीवनसाथी।

  • विवाह से भाग्य का विकास।

  • व्यापार या साझेदारी में सफलता।

  • विदेश संबंधी लाभ की संभावना।

8 अष्टम भाव में

  • भाग्य का फल देर से मिलता है।

  • गूढ़ विद्या, ज्योतिष, रहस्य या शोध में सफलता।

  • अचानक लाभ या हानि।

  • यदि ग्रह बलहीन हो तो पिता को कठिनाई या भाग्य में रुकावट।

9 नवम भाव में (स्वगृही)

  • अत्यंत भाग्यशाली, धर्मनिष्ठ, ईमानदार।

  • गुरु और पिता से आशीर्वाद।

  • लंबी यात्राएँ, विदेश यात्राओं में सफलता।

  • पुण्यकर्मों से समाज में मान-सम्मान।

10 दशम भाव में

  • कर्म से भाग्य का विकास।

  • उच्च पद, प्रतिष्ठा और सरकारी लाभ।

  • पिता के माध्यम से करियर में उन्नति।

  • कार्यक्षेत्र में धार्मिक या नैतिक दृष्टिकोण।

11 एकादश भाव में

  • बड़े भाई-बहनों और मित्रों से लाभ।

  • इच्छाओं की पूर्ति, नेटवर्क से सफलता।

  • भाग्य से व्यापार और निवेश में लाभ।

  • सामाजिक प्रतिष्ठा और जनसंपर्क में वृद्धि।

12 द्वादश भाव में

  • भाग्य विदेश या दूरस्थ स्थानों से जुड़ा।

  • आध्यात्मिक प्रवृत्ति, दान-पुण्य में रुचि।

  • खर्च में वृद्धि लेकिन धर्म और पुण्य के लिए।

  • यदि अशुभ हो तो भाग्य विदेश में या अकेलेपन में ही फलता है।

यह फल तब सही बैठता है जब नवम भाव का स्वामी शुभ प्रभाव में हो। यदि पापग्रह से पीड़ित, नीचस्थ या वक्री हो तो परिणाम उलटे भी हो सकते हैं। पूर्ण फल के लिए दृष्टि, युति, दशा-अंतर्दशा और ग्रहबल देखना जरूरी है।

नवम भाव का स्वामी (भाग्येश) कुंडली में क्या प्रभाव डालता है, यह जानने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि नवम भाव किन-किन चीजों का प्रतिनिधित्व करता है।

नवम भाव से जुड़ी मुख्य बातें:

  • धर्म और आध्यात्मिकता: यह व्यक्ति के धार्मिक विश्वासों, आध्यात्मिक यात्रा और दर्शन को दर्शाता है।
  • भाग्य: इसे सीधे तौर पर ‘भाग्य का घर’ माना जाता है। यह बताता है कि व्यक्ति का भाग्य उसका कितना साथ देगा।
  • पिता और गुरु: यह पिता के साथ संबंध और गुरुओं या मार्गदर्शकों से मिलने वाले ज्ञान को भी दर्शाता है।
  • उच्च शिक्षा और लंबी यात्राएं: नवम भाव उच्च शिक्षा के अवसर और विदेशी यात्राओं या लंबी दूरी की यात्राओं का प्रतीक है।
  • नैतिकता: यह व्यक्ति के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों को भी दर्शाता है।

जब भाग्येश (नवम भाव का स्वामी ग्रह) कुंडली के अलग-अलग 12 भावों में बैठता है, तो उसके परिणाम भी अलग-अलग होते हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं:

1. भाग्येश प्रथम भाव (लग्न) में

  • प्रभाव: यह एक बहुत ही शुभ स्थिति है। ऐसा व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है और उसे जीवन में कम संघर्ष करना पड़ता है।
  • परिणाम: व्यक्ति को अपने प्रयासों में सफलता मिलती है, उसका व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है और वह एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है। वह धर्म और नैतिकता के प्रति झुकाव रखता है।

2. भाग्येश द्वितीय भाव में

  • प्रभाव: इस स्थिति में व्यक्ति को धन, परिवार और वाणी के माध्यम से भाग्य का साथ मिलता है।
  • परिणाम: व्यक्ति अपनी वाणी से लोगों को प्रभावित करता है और धन-संपत्ति अर्जित करता है। परिवार का सहयोग उसे हमेशा मिलता है। धार्मिक कार्यों में भी धन खर्च हो सकता है।

3. भाग्येश तृतीय भाव में

  • प्रभाव: व्यक्ति को अपने भाई-बहनों और पराक्रम (प्रयासों) से भाग्य का साथ मिलता है।
  • परिणाम: वह अपनी मेहनत और छोटे भाई-बहनों के सहयोग से सफलता प्राप्त करता है। छोटी यात्राएं भी उसके लिए फायदेमंद साबित होती हैं।

4. भाग्येश चतुर्थ भाव में

  • प्रभाव: यह स्थिति दर्शाती है कि व्यक्ति को माता, भूमि, भवन और वाहन से भाग्य का साथ मिलता है।
  • परिणाम: उसे पैतृक संपत्ति मिल सकती है और वह सुख-सुविधाओं से भरा जीवन जीता है। मां का आशीर्वाद उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

5. भाग्येश पंचम भाव में

  • प्रभाव: यह एक बहुत ही शक्तिशाली और शुभ स्थिति है। व्यक्ति को संतान, शिक्षा और प्रेम संबंधों से भाग्य का साथ मिलता है।
  • परिणाम: ऐसा व्यक्ति ज्ञानी होता है और उसकी संतान भी भाग्यशाली होती है। यह स्थिति व्यक्ति को जीवन में अचानक लाभ और सफलता भी दिला सकती है।

6. भाग्येश षष्ठम भाव में

  • प्रभाव: इस स्थिति को शुभ नहीं माना जाता। व्यक्ति को अपने भाग्य के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
  • परिणाम: व्यक्ति को अपने विरोधियों, बीमारियों या कर्ज के कारण भाग्य का साथ नहीं मिलता। हालांकि, कड़ी मेहनत और संघर्ष से वह इन चुनौतियों पर काबू पा सकता है।

7. भाग्येश सप्तम भाव में

  • प्रभाव: व्यक्ति को अपने जीवनसाथी और व्यापारिक साझेदारों से भाग्य का साथ मिलता है।
  • परिणाम: उसका जीवनसाथी उसके लिए भाग्य लेकर आता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। व्यापार और साझेदारी में भी सफलता मिलती है।

8. भाग्येश अष्टम भाव में

  • प्रभाव: यह स्थिति भी शुभ नहीं मानी जाती। व्यक्ति के भाग्य में रुकावटें और अचानक परेशानियां आती हैं।
  • परिणाम: उसे गूढ़ विद्या, ज्योतिष या शोध के क्षेत्र में सफलता मिल सकती है, लेकिन सामान्य जीवन में भाग्य का साथ कम मिलता है। उसे विरासत से धन मिल सकता है।

9. भाग्येश नवम भाव में

  • प्रभाव: यह एक अत्यंत शुभ स्थिति है, जिसे ‘स्वगृही’ कहते हैं। भाग्येश अपने ही घर में बैठा है, जिससे उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
  • परिणाम: व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में जबरदस्त भाग्य का साथ मिलता है। वह धार्मिक, ज्ञानी और बहुत सफल होता है। पिता और गुरु का पूर्ण सहयोग मिलता है।

10. भाग्येश दशम भाव में

  • प्रभाव: यह स्थिति दर्शाती है कि व्यक्ति को अपने करियर और कर्मों से भाग्य का साथ मिलेगा।
  • परिणाम: व्यक्ति बहुत मेहनती होता है और अपने कर्मों के बल पर उच्च पद प्राप्त करता है। समाज में उसे मान-सम्मान मिलता है और वह अपने पिता का नाम रोशन करता है।

11. भाग्येश एकादश भाव में

  • प्रभाव: व्यक्ति को अपनी आय, लाभ और बड़े भाई-बहनों से भाग्य का साथ मिलता है।
  • परिणाम: ऐसा व्यक्ति बहुत सफल होता है और उसके जीवन में आय के कई स्रोत होते हैं। उसके मित्र और बड़े भाई-बहन उसके लिए सहायक साबित होते हैं। उसकी इच्छाएं आसानी से पूरी होती हैं।

12. भाग्येश द्वादश भाव में

  • प्रभाव: इस स्थिति को शुभ नहीं माना जाता। व्यक्ति को अपने भाग्य के लिए विदेशी यात्राओं या आध्यात्मिक खोज में जाना पड़ सकता है।
  • परिणाम: उसे विदेश में रहने या काम करने से भाग्य का साथ मिल सकता है। हालांकि, उसे व्यर्थ के खर्चों और अस्पताल के चक्करों से सावधान रहना चाहिए। यह स्थिति व्यक्ति को मोक्ष या आध्यात्मिकता की ओर भी ले जाती है।

किसी भी कुंडली का सही विश्लेषण केवल एक ग्रह की स्थिति पर निर्भर नहीं करता। इसके लिए ग्रह की युति, दृष्टि, उसकी राशि और बल (कितना मजबूत है) को भी देखना बहुत ज़रूरी होता है।