Prachya Jyotish Vigyan
पार्च्य ज्योतिष विज्ञान: प्राचीन ज्ञान की अनमोल धरोहर
पार्च्य ज्योतिष विज्ञान, जिसे पूर्वी ज्योतिष भी कहा जाता है, भारत, तिब्बत, चीन, जापान और अन्य एशियाई देशों में विकसित एक अत्यंत प्राचीन और गूढ़ ज्ञान प्रणाली है। यह केवल ग्रहों और नक्षत्रों की गणना का विज्ञान नहीं, बल्कि जीवन, मन, कर्म, प्रकृति और भाग्य को समझने का एक आध्यात्मिक मार्ग है। यह विज्ञान मनुष्य को अपने जीवन की दिशा तय करने, संकटों का सामना करने और आत्मबोध प्राप्त करने में सहायता करता है। आज भी यह परंपरा उतनी ही प्रासंगिक है जितनी हजारों वर्षों पहले थी।
भारतीय परंपरा में ज्योतिष का उद्भव वेदों के काल में हुआ था। ऋषि-मुनियों ने आकाश में दिखाई देने वाले ग्रहों, तिथियों और नक्षत्रों का अध्ययन कर उन्हें पृथ्वी पर घटने वाली घटनाओं से जोड़ा। वेदांग ज्योतिष भारत का सबसे पुराना ग्रंथ माना जाता है, जिसमें ग्रहों की गति, राशियाँ, मुहूर्त, दशा, गोचर और योगों का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है।
भारत के साथ-साथ चीन में ज़ी वेई दो शू, तिब्बत में तांत्रिक ज्योतिष और जापान में ओनम्योदो जैसी परंपराएँ विकसित हुईं। इन सभी परंपराओं ने जीवन के विभिन्न पक्षों को समझने का प्रयास किया।
मूल सिद्धांत
पार्च्य ज्योतिष विज्ञान के कुछ प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं:
1. ग्रह (Planets)
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु को जीवन पर प्रभाव डालने वाली शक्तियों के रूप में देखा जाता है। प्रत्येक ग्रह का अपना स्वभाव, गुण और ऊर्जा होती है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, दुख, उतार-चढ़ाव का कारण बनती है।
2. राशियाँ (Zodiac Signs)
बारह राशियाँ – मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन – व्यक्ति के स्वभाव, प्रवृत्ति, मानसिकता और जीवन के रास्तों को दर्शाती हैं।
3. नक्षत्र (Lunar Mansions)
चंद्रमा की गति के आधार पर 27 या 28 नक्षत्र माने जाते हैं। इन नक्षत्रों का उपयोग मनुष्य के स्वभाव, मानसिक स्थिति, परिवार, व्यवसाय आदि की व्याख्या में किया जाता है।
4. दशा और गोचर
ग्रहों की स्थिति समय के साथ बदलती रहती है। दशा जीवन में दीर्घकालीन प्रभाव और गोचर अल्पकालीन प्रभाव दर्शाते हैं। इनके आधार पर भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।
5. कर्म और फल
ज्योतिष के अनुसार मनुष्य अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल भोगता है। ग्रहों की स्थिति उस कर्म के अनुरूप सुख-दुख का संकेत देती है।
मानव जीवन में ज्योतिष का स्थान
यह विज्ञान केवल भविष्य बताने तक सीमित नहीं है। यह व्यक्ति को आत्मचिंतन, आत्मसंयम, मानसिक शांति और सही निर्णय लेने में मदद करता है। ज्योतिष की सहायता से निम्न क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्राप्त होता है:
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स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन
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विवाह, संतान और पारिवारिक जीवन
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करियर और आर्थिक स्थिति
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आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान
इसके अतिरिक्त ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए उपाय, मंत्र, यज्ञ और पूजा-पाठ का मार्ग भी बताया जाता है।
आधुनिक युग में ज्योतिष की प्रासंगिकता
आज तकनीकी युग में ज्योतिष विज्ञान डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी उपलब्ध है। ऑनलाइन कुंडली विश्लेषण, मोबाइल ऐप्स और ज्योतिष परामर्श सेवाएँ आम हो गई हैं। फिर भी यह आवश्यक है कि अनुभवी और विश्वसनीय ज्योतिषाचार्यों से मार्गदर्शन लिया जाए ताकि सटीक भविष्यवाणी और उपयुक्त उपाय मिल सकें।
आधुनिक मनोविज्ञान और चिकित्सा में भी ग्रहों के प्रभाव को मानसिक संतुलन और आत्मचेतना से जोड़कर समझा जा रहा है। यह विज्ञान वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिक साधना का समन्वय प्रस्तुत करता है।
पार्च्य ज्योतिष विज्ञान ब्रह्मांड और मनुष्य के बीच एक पुल का कार्य करता है। यह केवल गणना नहीं, बल्कि जीवन के गहरे अर्थों को समझने का मार्ग है। इसके माध्यम से मनुष्य अपनी शक्तियों, दोषों, संभावनाओं और आत्मबल को पहचान सकता है। यद्यपि यह एक प्राचीन परंपरा है, फिर भी आज के समय में इसका महत्त्व और उपयोगिता अप्रतिम है।